1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद केन्द्रीय मंत्रीमंडल ने एक संघीय आकस्मिक बल बनाने का निर्णय लिया जिसमें सभी प्रकार के आतंकवाद से निपटने के लिए बेहद प्रेरित, विशेष रुप से सुसज्जित और प्रशिक्षित कार्मिक शामिल हों । जून, 1984 में राष्ट्रीय सुरक्षा गारद के महानिदेशक और आवश्यक तत्वों को मंजूरी दी गई और बल को स्थापित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए गए । अगस्त, 1986 में संसद में इस संगठन के गठन के लिए एक बिल पेश किया गया और इसे 22 सितम्बर, 1986 को राष्ट्रपति महोदय की स्वीकृति मिली और राष्ट्रीय सुरक्षा गारद औपचारिक रुप से उस तारिख से अस्तित्व में आया ।
राष्ट्रीय सुरक्षा गारद की बुनियादी सोच त्वरित और गतिशीलता से कार्रवाई करके उस जगह से तुरंत निकलना है । राष्ट्रीय सुरक्षा गारद को एक संघीय आकस्मिक तैनाती बल के रुप में देश के किसी भी हिस्से में आतंकवाद के सभी पहलूओं से निपटने की एक विशेष भूमिका दी गई है । राष्ट्रीय सुरक्षा गारद को ब्रिटेन के एस0ए0एस0 और जर्मनी के जी0एस0जी0-9 के अनुरुप बनाया गया है । यह एक कार्य विशेष बल है और इसके दो मुख्य तत्व हैं - एक एस0ए0जी0, जिसमें सेना के कार्मिक तथा दूसरा एसआरजी, जिसमें केंद्रीय अर्धसैनिक बलों/राज्य के पुलिस बलों के कार्मिकों को प्रतिनियुक्त पर नियुक्त किया गया हैं ।